पाई, संजय ढुल
आज के इस दौर में कृषि घाटे का सौदा बन चुका है, परन्तु गांव कसान का किसान दो एकड़ का किसान कृषि छोड़ सब्जियों की पौध पर रिचर्स कर अपनी नर्सरी खोल चुका है। इतना ही नही वह रिचर्स की जानकारी भी अन्य किसानों को दे रहा है, ताकि वे भी अपना नया धंधा चला सके। कसान के बलजीत सुपुत्र निहाल सिंह ने बताया कि उसके पास जींद रोड़ पर केवल दो एकड़ जमीन है। पहले वह अपनी जमीन पर गेहूं तथा धान की खेती करता था। खेती से उसके घर का गुजरा नही होने पर उसने यह खेती छोडऩे का मन बनाया। अब उसने अपनी नर्सरी एक एकड़ में बनाई है और एक एकड़ में अभी वह गेहूं धान की ही खेती कर रहा है। उसने अपनी नर्सरी केवल आध एकड़ से शुरू की थी। धीरे- धीरे वह अपनी सारी जमीन पर नर्सरी का कार्य शुरू करेगा। उसने बताया कि अब उसको नर्सरी से लगभग 30 से 40 हजार रुपये प्रति महीने की कमाई हो रही है।
बलजीत ने बताया कि अब तक वह कई सब्जियों की पौध तैयार कर चुका है। जिसमें काला टमाटर, बेल वाला टमाटर, सफैद बैगन, ब्रोंकली व सींग वाली गोभी, गांठ वाली गोभी आदि पर रिचर्स कर चुका है। उसने बताया कि टमाटर पहले छोटे- छोटे पौधे पर लगाया जाता था, परन्तु उसने खोज कर अब बेल वाले टमाटर की पौध तैयार की है। इस टमाटर की बेच को घिया, तोरी की तरह उपर भी चढ़ाया कर लम्बे समय तक टमाटर का उत्पादन किया जा सकता। उसने बताया कि अभी तक टमाटर एक ही रंग के देखे होगे, परन्तु उसने काले टमाटर की पौध भी तैयार की है। उन्होंने बताया कि इतना ही नही उसने एक पौधे से दो सब्जियां भी प्राप्त की है। पौधे के नीचे वाले भाग में बैंगन तथा उसके ऊपर वाले भाग में टमाटर लगते है। उन्होंने बताया कि बार- बार पौध लगाने से छुटकारा पाने के लिये उसने दो वर्ष पूर्व बैगन के पौधे लगाये थै और अब वे बढ़ कर 8 फूट ऊंचा पेड़ बन गया है। उससे आगे भी सात- आठ वर्ष तक बैंगन की सथ्जी प्राप्त की जा सकती है। इसकी ऊंचाई भी 20 से 25 फूट तक हो जायेगी। इसी प्रकार अधिक फल देने वाले अमरुद तथा मुवानियां गन्ने की पौध भी तैयार की है। उसने बताया कि बाजर में इस समय केवल दो तीन फूट लम्बी गिया मिलती है, परन्तु उसने पांच से छ: फूट से लम्बी घिया के बीज तैयार किये है। उसने बताया कि वह कभी भी कीट नाशक दवाईयां व खाद नही ड़ालता औा केवल देसी केचुंये की खाद पर पौध तैयार करता है। उसने बताया कि सब्जियां अधिक तर वर्षा के पानी पर निर्भर रहती है, इसके लिये उसने तीस गुणा बीस का 14 फूट गहराई वाला तालाब बनाया है, जिसमे वह वर्षा का पानी एकत्र करता है और सब्जियों में देता है। उसने बताया कि उसकी मां बनबोरी के नाम से नर्सरी जींद रोड़ पर ढ़ाबे के पास है औश्र केवल पौध या बीज ही तैयार करता है। उसने किसानों से अपील की है कि वे भी घाटे के सौदे कृर्षि को छोड़ कर कैस कमाई कर सकते है, इस ओर ध्यान दे।